ABOUT BAJRANG BAAN

About bajrang baan

वन उपवन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे । लाये संजिवन प्राण उबारे ॥अब विलम्ब केहि कारन स्वामी,

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